आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब
आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब की स्थापना सन् 1885 ई . में हुई । स्थापन के समय सभा का कार्यालय गुरुदत्त भवन लाहौर में था । उस समय आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के अधीन 700 से अधिक आर्य समाजे थी । वर्तमान में विश्वविख्यात गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना भी आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के द्वारा की गई थी । आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब की स्थापना सार्वदेशिक सभा से पहले हुई है । यह भारतवर्ष की सभी प्रतिनिधि सभाओं से प्राचीन है । पंजाब में आर्य समाज की आधारशिला आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने रखी थी , उसके पश्चात आर्य समाज का आन्दोलन समस्त देश में सबल रूप धारण कर नव युग निर्माण का आधार बना । आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करते हुए समाज के निर्माण में अपना योगदान दे रही है । शिक्षा के क्षेत्र में आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब ने अभूतपूर्व कार्य किया है । नारी शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर भारत में सर्वप्रथम कन्या पाठशाला की स्थापना जालन्धर में आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के द्वारा की गई थी , जो आज कन्या महाविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध है । देश की स्वतंत्रता के पश्चात भी आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब ने पंजाब में हिन्दी आन्दोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई । देश के विभाजन के पश्चात आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब का कार्यालय लाहौर से पंजाब में स्थानान्तरित किया गया । वर्तमान में सभा का कार्यालय गुरुदत्त भवन चौक किशनपुरा जालन्धर में स्थित है । इस समय पूरे पंजाब में लगभग 150 आर्य समाजें आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के साथ सम्बन्धित है । आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के साथ 80 स्कूल तथा 12 कॉलेज सम्बन्धित हैं । आर्य कॉलेज लुधियाना आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब की प्रमुख शिक्षा संस्था है । इन शिक्षण संस्थाओं का संचालन आर्य विद्या परिषद पंजाब के द्वारा किया जाता है । आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के प्रधान पद को स्वामी श्रद्धानंद जी ने भी सुशोभित किया । वर्तमान में आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के प्रधान श्री सुदर्शन शर्मा , महामन्त्री श्री प्रेम भारद्वाज , कोषाध्यक्ष श्री सुधीर शर्मा हैं । आर्य विद्या परिषद के रजिस्ट्रार श्री अशोक परूथी जी एडवोकेट हैं ।
डॉ. सूक्ष्म आहलूवालिया
प्राचार्या
आर्य कॉलेज, लुधियाना।
प्राचार्य की ओर से...
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” अर्थात् मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाओ यह प्रार्थना भारतीय संस्कृति का मूल स्तम्भ है। प्रकाश में व्यक्ति को सब कुछ दिखाई देता है,अन्धकार में नहीं।यह प्रकाश शिक्षा के माध्यम से ही सम्भव है। उत्तम शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। शिक्षा आत्म विश्वास को विकसित करती है और एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करती है। शिक्षा मस्तिष्क को उच्च स्तर पर विकसित करती है और समाज में लोगों के बीच सभी भेदभावों को समाप्त करने में सहायता करती है।